The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
The smart Trick of Shiv chaisa That Nobody is Discussing
Blog Article
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
समझनी है जिंदगी तो पीछे देखो, जीनी है जिंदगी तो आगे देखो…।
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
अर्थ: हे नीलकंठ आपकी पूजा करके ही भगवान श्री रामचंद्र लंका को जीत कर उसे विभीषण को सौंपने में कामयाब हुए। इतना ही नहीं जब श्री राम मां शक्ति की पूजा कर रहे थे और सेवा में कमल अर्पण कर रहे थे, तो आपके ईशारे पर ही देवी ने उनकी परीक्षा लेते हुए एक कमल को छुपा लिया। अपनी पूजा को पूरा करने के लिए राजीवनयन भगवान राम ने, कमल की जगह अपनी आंख से पूजा संपन्न करने की ठानी, तब आप प्रसन्न हुए और उन्हें इच्छित वर प्रदान किया।
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश shiv chalisa in hindi नवावैं॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥